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Wednesday 10 April 2013

कशमकश में रात भर नींद नहीं आई,
तेरी नज़रों से मेरे नज़रें झुक नहीं पाई,

तुम जो होती साथ मेरे , बीत जाता ये समा
तुम नहीं तो मेरी ये राहे कट नहीं पाई,

जब न देखू मैं तुझको चैन नहीं आये,
और देख के तुझको ये मन मेरा भर नहीं पाये,

कशमकश में रात भर नींद नहीं आई,






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