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Monday 13 May 2013

मेरे जनाज़े को फ़रिश्ते उठाएंगे,
उस बेवफा के आँसू से नेहलाएंगे,
याद रखकर उसके ज़ुल्मो सितम,
मुझे मिटटी की जगह फूलों में दफ्नाएंगे...

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