पर लगे है, या किसी के संग उड़ा हूँ मैं,
लगता है पर्वतों से दोस्ती कर चला हूँ मैं,
इन वादियों के नज़ारों से घिरा हूँ मैं,
तो कही नदियों के किनारे गिरा हूँ मैं,
मुझे बसना है इन्ही नजारों के साथ हरपल,
लेकिन जाना तो होगा, ज्यो आज़ाद परिंदा हूँ मैं,
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